बूढ़ी भिखारन आज फिर बीमार है। कल किसी ने बासी पूरियां खाने को दे दीं तो उसने स्वाद के बस होकर, चारों पूरियां खा लीं। आज सुबह से बार बार पेट की पीड़ा उसे परेशान कर रही है। काश कहीं से बस दो केले मिल जाते तो उसका पेट और पीड़ा दोनों झट से ठीक हो जाएँ। पर यहाँ झुग्गी -झोंपड़ी में उसे दो केले कौन लाकर देगा ? बाहर निकल बाजार में भीख मांगे बिना दो केले मिलना असंभव और इतनी पीड़ा में बाजार जाना भी असंभव। "हे भगवान ! अब तो मुक्ति ही दे दो। अब सहा नहीं जाता। केले तो मिल नहीं सकते लेकिन प्रभु अपने पास बुला कर इस पीड़ा से मुक्ति तो दे ही सकते हो। "यहाँ वो बेचारी दो केले के लिए तरस रही और वहाँ मंदिर में एक श्रद्धालू गौ -ग्रास की पांच सौ की पर्ची कटा रहा है। उस को ही पता होता तो बूढ़ी भिखारिन को वो क्या दो केले न दे देता ! लेकिन उस बेचारे को क्या पता ? सब ईश्वर की माया!श्रद्धालू का बेटा भी साथ था। वो भी पिता की तरह ही दयावान। मंदिर से बाहर निकला तो पिता से हठ करने लगा कि बाहर रेहड़ी लगा कर खड़े केलेवाले से केले ले लें। केले काले और कुछ ज्यादा पके हुए - बस इसलिए खरीद लिए गए कि बेचारा रेहड़ी वाला कुछ पैसे तो कमा ले। घर पहुंचे तो गृह-स्वामिनी केले देखते ही चौंक गयीं :"अरे कैसे केले ले आये हो ?""क्या करता ? तुम्हारे लाडले को उस केले वाले की बोहनी कराने का मन हो आया। " पिता ने मुस्कुराते हुए कहा। "उफ़ तुम पिता -पुत्र तो कारूं का खजाना भी बस यूँ ही दान -पुण्य में लुटा सकते हो " गृहस्वामिनी के ताने में भी गर्व बोल रहा था। संयोग से घर में झाड़ू -पोंछे काम करने वाली कमला काम ख़त्म कर बाहर ही निकल रही थी।"ये केले अपने घर ले जाओ । थोड़े काले हैं, पर अभी खरीदे हैं !" गृहस्वामिनी ने केले कमला को पकड़ाए।कमला ने खुशी -खुशी केले ले लिए और अपनी झोंपड़ी की तरफ चल पडी। चलते -चलते एक केला खाया तो देखा, दो केले ज्यादा ही पक्के हुए हैं। कमला की नजर पक्के हुए केलों पर पड़ी और बूढ़ी भिखारिन की नजर बाई के हाथ में पकडे केलों पर साथ -साथ ही पडी। "भगवान के नाम पर दो केले दे दे। भगवन खुशियों से तेरी झोली भर देंगे। " भिखारिन ने कहा। कमला को भी दाता बनने का अवसर मिल गया। "ये ले अम्मा " यह कह कर कमला ने दोनों पक्के हुए केले बूढ़ी भिखारिन की झोली में डाल दिए।
ईश्वर की लीला ने एक बार फिर असम्भव को सम्भव कर दिया।
"GOD is LOVE"
आप सभी का दिन शुभ हो 🙏🏻😊