एस.पी. मित्तल
21 नवंबर को मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने निर्दलीय विधायक रामकेश मीणा को अपना सलाहकार नियुक्त किया और मीणा ने 22 नवंबर को ही पूर्व डिप्टी सीएम सचिन पायलट के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। मीणा ने कहा पायलट ने कांग्रेस आलाकमान को गुमराह कर निर्दलियों विधायकों को मंत्री नहीं बनने दिया, जबकि निर्दलीय विधायकों की वजह से ही कांग्रेस की सरकार बची। गत वर्ष यदि निर्दलीय और बसपा से आए विधायक समर्थन नहीं देते तो सरकार गिर जाती। मीणा ने कहा कि मुख्यमंत्री गहलोत चाहते थे कि निर्दलीय विधायकों को मंत्री बनाया जाए ,लेकिन पायलट ने कांग्रेस आलाकमान को गुमराह कर राइडर लगवा दिया। गत विधानसभा चुनाव के सयम में भी कांग्रेस के जनाधार वाले नेताओं के टिकट पायलट ने कटवा दिए। मेरा टिकट भी कटवाया गया, लेकिन मैं तो कांग्रेस के अधीकृत उम्मीदवार को हरा कर विधायक बन गया। मीणा ने कहा कि गत चुनावों में यदि अशोक गहलोत को फ्री हैंड दिया जाता तो कांग्रेस को 150 सीटें मिलती। अब भी यदि पायलट को आगे रखकर 2023 की रणनीति बनाई गई तो कांग्रेस का बुरा हाल होगा। मीणा ने कहा कि वे जल्द ही कांग्रेस आलाकमान से मिलेंगे और राजस्थान की राजनीति से अवगत कराएंगे। मीणा ने कहा कि मुझे नहीं पता मुख्यमंत्री के सलाहकार की क्या भूमिका होगी। किसी विधायक को मुख्यमंत्री का सलाहकार बनाने का प्रयोग पहली बार हुआ है। मालूम हो कि प्रदेश में 13 निर्दलीय विधायक हैं, लेकिन 21 नवंबर को मंत्रिमंडल फेरबदल में किसी निर्दलीय विधायक को मंत्री नहीं बनाया गया है। इससे निर्दलीय विधायकों में असंतोष है। मुख्यमंत्री के सलाहकार के तौर पर रामकेश मीणा का ताजा बयान बहुत मायने रखता है । इससे प्रतीत होता है कि कांग्रेस में अभी गुटबाजी समाप्त नहीं हुई है ।