चिकित्सा एवं स्वास्थ्य मंत्री डॉ. रघु शर्मा के निर्देश पर प्रदेश के प्रमुख कोविड डेडीकेटड सेंटर राजस्थान स्वास्थ्य विश्विद्यालय, आयुर्विज्ञान (आरयूएचएस) में 14 मई को एक साथ 3 मरीजों की हुई मौत के कारणों की जांच करवाई गई ।
चिकित्सा शिक्षा सचिव वैभव गालरिया ने जांच के लिये चिकिसको की 5 सदस्यीय समिति का गठन किया। समिति में अधीक्षक डॉ. अजीत सिंह, डॉ. पी एस लाम्बा, डॉ. पवन सिंघल, डॉ. वेदपाल सिंह व डॉ. हेमेंद्र भारद्वाज शामिल थे। समिति द्वारा की गई जांच में सामने आया है कि मौत का कारण गंभीर बीमारी थी।
आरयूएएचएस के अधीक्षक डॉ. अजीत सिंह ने बताया कि ऑक्सीजन का दबाव सामान्य था। इन मरीजों की मौत के वक्त 24 मरीज वेंटीलेर या ऑक्सीजन सपोर्ट पर थे। आरयूएचएस में 200 मरीज वेंटीलेटर पर, 60 मरीज एचएफएनसी पर तथा 442 मरीज आक्सीजन लाइन पर थे। यदि ऑक्सीजन का दबाव कम होता तो सभी मरीजों पर इसका प्रभाव पड़ता।
उन्होंने बताया कि जिन तीन मरीजों की मौत हुई वो तीनों मरीज बहुत गंभीर थे तथा चिकित्सक व स्टॉफ उन्हें कई दिनों से बचाने का प्रयास कर रहे थे। एक मरीज के परिजन ने जब ऑक्सीजन सेचुरेशन में उतार चढ़ाव देखा तो वह घबरा गया और उसने शोर मचाना प्रारंभ कर दिया। मरीजों की गंभीर स्थिति देखते हुए वहां मौजूद स्टॉफ व चिकित्सकों ने उन्हें बचाने का पूरा प्रयास किया। उनके लिए अतिरिक्त ऑक्सीजन सिंलेंडर की व्यवस्था भी की गई ,लेकिन उन्हें बचाया नहीं जा सका।
आरयूएचएस प्रभारी ने कहा कि उक्त घटना की पूर्ण जांच की गई है और जिम्मेदारों से लिखित में पूरी रिपोर्ट प्राप्त की गई है। इससे यह स्पष्ट हुआ है कि 14 मई को हुई तीन मरीजों की मौत आक्सीजन का दबाव कम होने से नहीं हुई है।